डांगावास दलित संहार

Author — Bhanwar Meghwanshi

प्रस्तावना

डांगावास के शहीदों को नमन !

पांच साल पहले आज ही के दिन (14 मई 2015) डांगावास में जातिवादी भीड़ ने एक खौफनाक नरसंहार को अंजाम दिया था, जिसमें इन पांच दलितों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस लोमहर्षक हत्याकांड के विरुद्ध जन प्रतिरोध के चलते सीबीआई जांच हुई, आज 40 हत्यारोपी जेल में हैं।

जातिवादी तत्वों ने कभी भी इस खूंरेजी की निंदा नहीं की,उन्होंने इस नरमेध को महज दो परिवारों की ज़मीन के लिए लड़ाई माना, यहाँ तक कि मूलनिवासी लोगों के लिए संगठन चलाने का दावा करने वाले चंदा उगाही समूहों ने भी इस जातीय मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला, क्योंकि हत्यारी भीड़ कथित मूलनिवासी ढांचे के भीतर आने वाले समुदाय की थी, वे आज भी डांगावास के हत्यारों के समर्थन में खड़े हैं।

ख़ैर, जुल्म तो जुल्म है, जब हद से आगे बढ़ जाता है तो खुद ही मिट जाता है, डांगावास कांड में इन पांचों के अलावा एक और निर्दोष युवक गोस्वामी को भी मारा गया, जिसकी तोहमत पीड़ित दलितों पर लगाई गई, सीबीआई जांच में इस आरोप से दलितों को क्लीनचिट दी गई है।

डांगावास के बारे में विस्तृत जानकारी आप मेरी क़िताब 'डांगावास नरसंहार' में पढ़ सकते हैं।

सरकारों ने डांगावास के पीड़ितों से जो वादे किए वो पूरे नहीं किये, वैसे भी कौन सी सरकार उत्पीड़ितों की हुई है आज तक, राजस्थान का टू पार्टी सिस्टम सदैव ही उत्पीड़कों का मददगार रहा है और आज भी है।

खैर, जो कुछ भी आंशिक न्याय मिला,वह भी जन संघर्षों की वजह से मिला है, संघर्ष अभी भी जारी है, आगे भी जारी रहेगा।

जातिवादी भीड़ की भेंट चढ़ गए डांगावास के शहीदों की शहादत को मैं अपनी और से विन्रम श्रद्धांजलि देता हूँ।

-भंवर मेघवंशी
(संपादक - शून्यकाल डॉटकॉम)